जबलपुर । मध्यप्रदेश के थानों में बने या बन रहे मंदिरों पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 7 दिन का समय दिया है, ताकि वह इस मामले में जवाब पेश कर सके। 19 नवंबर और 4 नवंबर को भी हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। सोमवार (16 दिसंबर) को जबलपुर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “राज्य सरकार को जल्द से जल्द प्रदेश भर के थानों में बने मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की पूरी सूची प्रस्तुत करे।” हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि किस थाने में कब मंदिर बनाए गए और इन मंदिरों के निर्माण के आदेश किसने दिए थे।
सरकार ने जताई थी आपत्ति, कोर्ट ने की अस्वीकार
यह याचिका जबलपुर के ओपी यादव ने दायर की है। एक महीने पहले भी इस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने थानों में बन रहे मंदिरों पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने सरकार से यह सवाल किया था कि सरकारी जमीन पर मंदिर कैसे बन रहे हैं। इस मामले में सरकार ने अपनी प्रारंभिक आपत्तियां भी पेश की थीं, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
सरकार बताए कब और किसके आर्डर पर हुआ निर्माण: HC
एक महीने पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव (सीएस) अनुराग जैन और डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था इसके साथ ही गृह विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग को भी नोटिस भेजे गए थे। अब हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है कि किस थाने में कब मंदिर बनाए गए और इन मंदिरों के निर्माण के आदेश किसने दिए थे। याचिकाकर्ता ओपी यादव ने जबलपुर शहर के सिविल लाइन, लार्डगंज, मदनमहल और विजय नगर थानों में बने मंदिरों की तस्वीरें भी याचिका में शामिल की थीं। उन्होंने सूरज मेहता न्यूज चैनल को बताया कि पुलिस अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं।
कई थानों में अब भी हो रहा निर्माण-याचिकाकर्ता
कई थानों में प्राचीन मंदिरों के निर्माण के मामले में अदालत ने सरकार को सभी थानों में स्थापित मंदिरों की सूची मांगी है। इसमें प्राचीन मंदिरों, नए मंदिरों और अर्ध-निर्मित मंदिरों की दिनांकवार जानकारी शामिल होगी। सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अंतरिम आदेश के कारण किसी भी मंदिर का निर्माण नहीं किया जा सकता है। वहीं याचिकाकर्ता के वकील सतीश वर्मा ने दावा किया कि अभी भी कुछ थानों में मंदिरों का निर्माण चल रहा है। अदालत ने शासन को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने और अंतरिम आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इस मामले में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी हस्तक्षेप किया है।
6 जनवरी को अगली सुनवाई
बार एसोसिएशन के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, जिस पर कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई तक इंतजार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने हस्तक्षेपकर्ता से कहा कि पहले सरकार का जवाब आने दीजिए, उसके बाद आपको भी सुनवाई का पूरा अवसर मिलेगा। इसके साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को तय की गई है।
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