रिटायर्ड कर्मचारी की पेंशन को देरी से भुगतान किए जाने पर, वह बाजार दर से ले सकता है ब्याज...?
शासन द्वारा कर्मचारी को भुगतान की जाने वाली पेंशन और ग्रैजुटी कर्मचारी की मूल्यवान संपत्ति है ना कि कोई इनाम या पारितोषिक है। अतः, पेंशन, उपादान देरी से भुगतान होने पर, भुगतान की जाने वाली राशि पर, बाजार दर, ब्याज आकर्षित होता है। दूसरे शब्दों में, विलंब के कारण ब्याज मिलना चाहिए।
माननीय उच्चतम न्यायालय, ने पद्मनाभन के प्रकरण में, शासन के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया था कि कर्मचारी द्वारा समय पर एल पी सी नही प्रस्तुत की गईं थी। उच्चतम न्यायालय के अनुसार, सामान्यतः, भुगतान में विलंब, अंतिम वेतन प्रमाण पत्र एवं एन एल सी प्रमाण पत्र समय पर प्रस्तुत नही होने के कारण उत्पन्न होता है एवं दोनो से प्रमाणपत्र विभागीय डॉक्यूमेंट से सम्बंधित होते है। सेवा निवृत्ति की तिथि से विभाग अवगत होता है। अतः रिटायरमेंट के एक सप्ताह पूर्व, समस्त डॉक्यूमेंट एकत्रित कर लिये जाने चाहिये, ताकि, रिटायरमेंट की तिथि को या उसके एक दिन बाद भुगतान किया जा सके। रिटायरमेंट के दो महीने समाप्त होने की तिथि से बाजार दर से ब्याज का भुगतान होना चाहिए।
चूँकि, पेंशन कोई पारितोषिक नही है, बल्कि सांपत्तिक अधिकार है। संपत्ति के मूल्यवान अधिकार है। अतः , पेंशन नियमों के अनुसार, पेंशन भुगतान की प्रक्रिया, प्रारंभ की जानी चाहिए, ताकि विलंब को टाला जा सके। बिना किसी ठोस कारण या नियमों के अपालन के कारण, भुगतान में देरी के लिए कर्मचारी ब्याज का दावा कर सकता है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार, विलंब के उत्तरदायी अधिकारी से ब्याज की राशि लेने के सरकार स्वतंत्र है। उक्त कृत्य, संबंधित के मन मे कर्तव्य बोध उत्पन्न करेगा।
- अमित चतुर्वेदी, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय जबलपुर✍️
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