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विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित प्रांत स्तरीय तीन दिवसीय संस्कृति महोत्सव हुआ संपन्न


टिमरनी (संदीप अग्रवाल) ।
सरस्वती शिशु मंदिर टिमरनी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित मध्य भारत प्रांत का प्रांत स्तरीय तीन दिवसीय संस्कृति महोत्सव का आज समापन हुआ। नौकरी के पीछे मत भागो, बल्कि समाज के इस रंग मंच पर अपना किरदार अच्छा बनाओ। यह समाज तय करेगा कि आपका किरदार कितना बेहतर है यह बात छात्रों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि विकास अधिकारी एवं सरस्वती शिशु मंदिर की पूर्व छात्रा वबीता बिश्नोई ने कही। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा का अर्थ सीखना होता है । इसी उद्देश्य को लेकर सरस्वती शिशु मंदिरों में किताबी ज्ञान ही नहीं तो जीवन के लिए जरूरी संस्कारों के माध्यम से अच्छे बेटे - बेटियों का निर्माण भी किया जाता है। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने अनुभव के आधार पर देश के लिए कुछ अच्छा करेंगे तो यह जीवन सार्थक होगा हम भारतीय संस्कृति को अपने जीवन में स्थान दें जो कि अपने कार्य व्यवहार में भी दिखना चाहिए । सरस्वती शिक्षा मंडल के अध्यक्ष सुधाकर जोशी ने सभी के प्रति धन्यवाद और आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और संस्कृति बोध  परियोजना के क्षेत्रीय अभियान प्रमुख विष्णु आर्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति को पुनः प्रतिस्थापित करने के लिए उसका प्रचार , विस्तार और पल्लवित करने के उद्देश्य से पूरे देश भर में प्रांत स्तरीय , क्षेत्र स्तरीय, और अखिल भारतीय स्तर तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । 

उन्होंने कहा की संस्कृति किसी भी देश के लिए उसके प्राण होते हैं जिसके बिना देश का अस्तित्व नहीं रहता। विद्या भारती संस्कार केन्द्रों, सांस्कृतिक प्रवाह परीक्षाओं एवं संस्कृति महोत्सव के माध्यम से छात्र के व्यक्तित्व विकास के लिए मंच प्रदान करती है जिसमें छात्र अपनी कलाओं को निखारते हैं । संस्कृति ज्ञान परीक्षा के माध्यम से अपने रीति - रिवाजों,विचारों से अवगत कराने के लिए उसका प्रचार प्रसार करने हेतु शासकीय व अशासकीय स्कूलों और कॉलेजों  तथा कोचिंग सेंटरों व छात्रों के माता-पिताओं  को इससे जोड़ने का लक्ष्य  लिया था जिसमें हम सफल भी हुए । कार्यक्रम में राजगढ़ विभाग के विभाग समन्वयक अंकित शुक्ला ने प्रतिवेदन का वाचन किया व कार्यक्रम की पृष्ठभूमि सभी के समक्ष रखी ।उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में पांच विभागों, जिसमें 16 जिले आते हैं इससे  125 भैया और 239 बहनों व 60 संरक्षक आचार्य /दीदी उपस्थित रहे। साथ ही  व्यवस्था टोली के 60 आचार्य और दीदियों ने अपना सहयोग प्रदान किया। इस महोत्सव में 19 प्रकार की प्रतियोगिताएं संपन्न हुई।  प्रतियोगिताओं में रांगोली, प्रश्न मंच , कथा कथन, गीता पाठ, एकल  भजन, तात्कालिक भाषण जैसी अन्य सभी विधाओं में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया । 

कार्यक्रम का संचालन सरस्वती शिशु मंदिर सारणी के प्राचार्य  चंद्रशेखर टैगोर ने किया तो वहीं कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन मध्य भारत प्रांत के संस्कृति बोध परियोजना के  प्रांत  संयोजक पुरुषोत्तम जोशी ने किया । कार्यक्रम में नगर से पधारे 42 निर्णायक बंधुओं का सहयोग प्राप्त हुआ । कार्यक्रम में प्रांत कृषक कार्य प्रमुख आनंद मजूमदार ,नर्मदापुर विभाग के विभाग समन्वयक रामकुमार व्यास , विद्यालय  समिति के सचिव राजेश जैन,  स्थानीय विद्यालय के प्राचार्य भवानी शंकर पाराशर , सिवनी मालवा एवं इटारसी विद्यालय के प्राचार्य सहित टिमरनी विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती सरिता गहलोत सहित समस्त आचार्य परिवार पूरे समय उपस्थित रहा।

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