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किसान आत्महत्या मामले में कलेक्टर ने किया जांच दल गठित, तहसीलदार लवीना घागरे को हटाया किया कलेक्ट्रेट में अट


हरदा
। तहसील अन्तर्गत आने वाले ग्राम डगावानीमा के किसान बाबूलाल जाट द्वारा रास्ता विवाद में जहर खाकर आत्महत्या करने की घटना पर कलेक्टर आदित्य सिंह ने तत्काल कार्यवाही करते हुए तहसीलदार लवीना घागरे को हटा कर कलेक्ट्रेट में अटैच कर दिया है वहीं इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय जांच दल गठित किया है। जांच दल में संयुक्त कलेक्टर रजनी वर्मा, डिप्टी कलेक्टर संजीव नागू और सहायक ग्रेड-3 संयम अग्रवाल को शामिल किया गया है। जांच दल को यथाशीघ्र मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर श्री सिंह ने शुक्रवार को हरदा तहसीलदार श्रीमती लवीना घागरे को आगामी आदेश पर्यंत कलेक्ट्रेट हरदा में संलग्न करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। तहसीलदार हरदा का प्रभार विजय साहू को सौंपा गया है।

गौरतलब है कि जिले के डंगावानीमा गांव में तीन वर्षों से जारी रास्ता और जमीन विवाद के कारण एक किसान ने मानसिक रूप से परेशान होकर सल्फास की गोली खाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक बाबूलाल जाट पिता किशनलाल जाट के पुत्र राजेन्द्र जाट ने बताया कि उनके पिता को रास्ते और जमीन संबंधी विवाद के चलते राहुल जाट, मयंक जाट और रामेश्वर जाट द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। इन तीनों व्यक्तियों के कारण बाबूलाल लंबे समय से मानसिक तनाव में थे, और यह विवाद तहसील न्यायालय में लंबित था। राजेन्द्र ने बताया कि तहसील न्यायालय हरदा ने बाबूलाल के खिलाफ गलत आदेश पारित कर दिया था, जिसके खिलाफ अभी भी मामला चल रहा था। तीन दिन पूर्व मयंक जाट ने उनके साथ मारपीट की, जिसकी रिपोर्ट पुलिस थाना टिमरनी में की गई थी। राजेन्द्र ने आरोप लगाया कि दिनांक 14 नवंबर को राहुल, मयंक और रामेश्वर ने उनके पिता के साथ फिर से झगड़ा किया, जिससे परेशान होकर बाबूलाल ने सल्फास की गोली खाकर आत्महत्या कर ली।

परिजनों ने मृतक का शव जिला कलेक्टर बंगले के सामने रखकर न्याय की मांग की। परिजनों का कहना है कि बाबूलाल की मृत्यु के लिए राहुल, मयंक और रामेश्वर जाट जिम्मेदार हैं और उनके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि कलेक्टर के आदेश का तहसीलदार द्वारा पालन नहीं किया गया, जिससे विवाद बढ़ता गया और स्थिति इतनी गंभीर हो गई। इस मामले में प्रशासन से परिजनों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और भविष्य में किसी और किसान को इस तरह के मानसिक उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

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