भोपाल। आज फिर एक पटवारी जमीन बंटवारे के लिए तेरह हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए ट्रैप हुआ है । मामला जबलपुर के कुण्डम ग्रामीण क्षेत्र का है जहां जमीन की बही बनाने के लिए पटवारी द्वारा मांगी गई रकम (रिश्वत) लेते लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी को रंगे हाथों पकड़ा। किंतु विचारणीय यह है कि मध्यप्रदेश में राजस्व विभाग में आनलाईन व्यवस्था होने, लोकसेवा केंद्र कै माध्यम से नामांतरण/ बंटवारा सहित सभी कार्य होने के बाद भी अधिकारिता नहीं होने के बाद भी पटवारी रिश्वत लेते ट्रैप हो रहे है, क्या यह सरकार कि विफलता नहीं जो अपनी योजना को जनसामान्य तक नही पहुंचा पा रही है । सरकार को इस ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए ।
आज के घटित मामले पर गौर करे तो लोकायुक्त पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि आवेदक जितेंद्र पटेल ग्राम पिपरिया कुंडम द्वारा लोकायुक्त पुलिस जबलपुर को शिकायत दर्ज कराई थी। आवेदक की शिकायत पर पटवारी हल्का सनी द्विवेदी को शुक्रवार दिनांक 15 नवम्बर 2024 नवंबर में घटनास्थल ग्राम तिलसानी कुंडम में रिश्वत 13000 हजार रूपए राशि के साथ रंगे हाथों ट्रैप किया गया। वही ट्रैप टीम के दौरान आवेदक जितेंद्र पटेल द्वारा बताया गया कि मैं अपने पिता की जमीन के संबंध में बटवारा एवं वही बनाने के लिए रिश्वत की राशि मांग रहा था। इस हिस्से में आवेदक के पिता की जमीन में उसकी 5 बुआ भी शामिल थीं। जिन्होंने हक त्याग करके पिता की जमीन केवल पित के नाम पर हो इस एवज में आरोपी द्वारा रिश्वती राशि ली गई।
- इस संबंध में विचारणीय प्रश्न यह है कि -
- क्या इस मामले मैं पटवारी को अधिकार है...?
- क्या किसान को लोकसेवा केंद्र कि जानकारी नहीं है...?
- क्या हक त्याग का कानून स्पष्ट नहीं है जिसके कारण अधिकारी मन मर्जी के आदेश करते है जिससे घबराकर किसान पटवारी को दलाल बनाकर अधिकारी तक बात पहुंचाता है. ...?
- क्या सरकार किसान हित में नामांतरण /बंटवारा का स्पष्ट नियम, कानून बनाएगी. ...? ताकि जिसको अधिकार है, जो काम को अटकाये, वहीं वास्तविक दोषी कानून कै दायरे में आए ओर उसे दंड मिले ।
आज लोकायुक्त टीम में कार्यवाही में जबलपुर डीएसपी सुरेखा परमार, निरीक्षक रेखा प्रजापति, निरीक्षक भूपेंद्र दीवान, उप निरीक्षक शिशिर पांडे एवं अन्य पांच सदस्य का सहयोग रहा।
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