यह था मामला : घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि आरोपी लाखनसिंह द्वारा दिनांक 20.03.2014 को पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय भोपाल को एक आवेदन पत्र दिया। इसमें उसने बताया कि नापानेरा और तालापुरा गांव में उसके पिता के पास करीब 26 बीघा पैतृक जमीन है। उसके पिता की कुल चार संतानें हैं जिनके के बीच में पिताजी जमीन बांटना चाहते हैं। इसके लिये ब्यावरा तहसील में आवेदन दिया था। उस समय यहां तत्कालीन पटवारी संजय शर्मा काम देख रहे थे। इनके पास से जमीन बंटवारे के लिए आवेदन दिया था।
ये लगाया था आरोप बंटवारे के लिए मांगी रिश्वत : शिकायतकर्ता ने बताया कि पटवारी उनका काम करने के लिए 06 माह से चक्कर लगवा रहा है। साथ ही बंटवारे के काम के लिए 35 हजार रूपये की मांग कर रहा है। लाखनसिंह ने बताया कि पटवारी का कहना है कि 35 हजार रूपये लाओगे तभी बंटवारा होगा, जबकि वह रिश्वत नहीं देना चाहता। शिकायकर्ता ने कहा कि वह रिश्वत देने के बजाए पटवारी के खिलाफ कार्रवाई करना चाहता है।
लोकायुक्त में दर्ज कराई शिकायत : ऐसे में तत्कालीन पटवारी संजय शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त में रिश्वत की मांग किये जाने के संबंध में आवेदन देकर फर्जी शिकायत कराई थी। इस मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाई के लिए कोई न्यायसंगत या विधिपूर्ण आधार नहीं है। पटवारी को नुकसान पहुंचाने के आशय से मिथ्या शिकायती आवेदन प्रस्तुत किए गए थे।
शिकायतकर्ता को सुनाई सजा : आरोपी पर राजगढ़ कोर्ट की जज शबनम कदीर मंसूरी ने भारतीय दण्ड विधान के तहत धारा 193, 211 के तहत जांच के बाद शिकायकर्ता की शिकायत को झूठा पाया गया। साथ ही आरोपी लाखन सिंह को 01 वर्ष का सश्रम कारावास और 2000/- रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।प्रकरण में विचारण के दौरान प्रकरण में भारसाधक लोक अभियोजक सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी रविन्द्र पनिका राजगढ द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोजन की ओर प्रकरण के महत्वपूर्ण गवाहों के न्यायालय में कथन कराये और तर्क प्रस्तुत किए थे।
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