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विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के बाबा महाकाल की कार्तिक मास की पहली सवारी 4 नवंबर को निकलेगी, भगवान महाकाल चांदी की पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण करेंगे


उज्जैन।
श्री महाकालेश्वर मंदिर से श्रावण-भादौ और दशहरा पर्व के बाद राजाधिराज भगवान महाकाल की चार सवारी कार्तिक एवं अगहन मास की निकलेगी। पहली सवारी 4 नवंबर को निकलेगी। भगवान महाकाल भक्तों को दर्शन देने के लिए राजसी ठाठबाट से नगर भ्रमण पर निकलेगें। सवारी के क्रम में कार्तिक मास में दो और अगहन मास में भी दो सवारी निकलेगी। इसके अलावा वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर भी सवारी गोपाल मंदिर तक आएगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की कार्तिक मास की दो और अगहन मास में दो सवारी सोमवार को इस बार मंदिर के आंगन से निकलेगी। वहीं एक सवारी वैकुंठ चतुर्दशी पर गोपाल मंदिर तक जाएगी। कार्तिक मास की पहली सवारी 4 नवंबर को सांय 4 बजे मंदिर से प्रारंभ होकर गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पर भगवान श्री महाकालेश्वर का मां शिप्रा के जल से पूजन- अभिषेक के पश्चात वापसी में सवारी शिप्रा तट रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद कार्तिक मास की दूसरी सवारी 11 नवंबर को अगहन मास की पहली सवारी 18 नवंबर और दूसरी व क्रम अनुसार चौथी राजसी सवारी 25 नवंबर को निकलेगी। अंतिम राजसी सवारी का रूट बढ़ जाता है। वहीं 14 नबंवर को वैकुंठ चतुर्दशी की सवारी महाकालेश्वर मंदिर से अर्ध रात्रि को प्रारंभ होकर गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर तक जाएगी।

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