हरदा। जिले के वरिष्ठ पत्रकार स्वदेश गंगवाल के पुत्र स्वासिक गंगवाल और अब्दुल्लागंज निवासी विजय जैन की पुत्री इंजीनियर रिनी जैन का आज शनिवार को जैन धर्म के आदि पुराण में वर्णित चक्रवर्ती विवाह हुआ। नर्मदापुरम संभाग एवं हरदा जिले का पहला चक्रवर्ती विवाह नगर के श्री पार्श्वनाथ जिनालय (हरसूद वाला) में सम्पन्न हुआ। वर हरदा का ओर वधू अब्दुल्लागंज की रहने वाली हैं। विवाह के दिन दोनों ने निर्जला उपवास रखा। वर स्वासिक ने श्रीजी के अभिषेक किए। वर –वधू और परिजनों ने मंडल विधान –पूजन की। आचार्य श्री विद्यासागर जी के परम शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि वीरसागर जी के मंगल आशीर्वाद से पंडित मनोज जैन के निर्देशन में इस मंगलमय विवाह को पूर्ण कर नए जीवन में प्रवेश किया। अब ये दोनों 7 दिन संयमित रहकर अलग–अलग तीर्थक्षेत्रों की यात्रा कर दर्शन–पूजन करेंगे। मुनि–आर्यिकासंघ का आशीर्वाद लेंगे। विवाह के पूर्व भी दोनों ने परिवार के साथ मुनिश्री वीरसागर, निर्वेग सागर, निर्मद सागर, संधान सागर सहित अन्य मुनि महाराजों को आहार दिया और आशीर्वाद लिया था।
चक्रवर्ती विवाह क्या होता हैं: जैन धर्म में हजारों वर्ष पूर्व चक्रवर्ती विवाह हुआ करते थे। इस पद्धति से होने वाले विवाह समय के साथ-साथ लुप्त होते चले गए। इस विवाह में मंदिर में सबसे पहले भगवान के अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, विधान हवन, सात फेरे आदि क्रियाएं होती हैं। अंत में सात फेरे भगवान के चारो ओर परिक्रमा देकर पूर्ण किए जाते हैं। इस विवाह में वर, वधू भोजन में भी शुद्धि का भोजन ही ग्रहण करते हैं अथवा अपने शरीर के अनुकूल व्रत या उपवास भी कर सकते हैं। कंदमूल आदि का भोजन, रात्रि भोजन ऐसे विवाह में वर्जित होता है। इस विवाह का उल्लेख आदिपुराण में मिलता है। बहू अपने ससुराल में पुराणों को लेकर ग्रंथ/प्रवेश करती हैं। ससुराल पक्ष में वर की मां भी अपनी बहू को ग्रंथ/पुराण आदि देकर अपने घर में मंगल प्रवेश कराती हैं।
श्री पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट एवं जैन समाज हरदा की ओर से जिले में प्रथम बार हुए चक्रवर्ती विवाह पर वर–वधू का सम्मान किया गया। कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया कि ऐसे विवाह के द्वारा लोगों में आधुनिकता की चकाचौंध से दूर जीवन में धर्म मय जीवन की ओर बढ़ने की भी प्रेरणा भी मिलती है। दूसरे लोगों को प्रेरणा मिलती है।
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