हरदा (सार्थक जैन)। जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक मुनि वीरसागर महाराज के सानिध्य में जैन समाज हरदा द्वारा विश्वशांति की भावना से समोशरण विधान रचाकर उत्कृष्ट द्रव्यों से पूजा-अर्चना की जा रही है । उक्त जानकारी देते हुए जैन समाज के सचिव राहुल गंगवाल एवं कोषाध्यक्ष राजीव रपरिया ने बताया की सम्पूर्ण विश्व में फैली अहिंसा ओर उपद्रव से हो रही जीव हिंसा की शांति के लिए मुनिश्री वीरसागरजी महाराज की प्रेरणा ओर आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के आशीर्वाद से हरदा नगर में भव्य तीन दिवसीय श्री १००८ समवशरण विधान की रचना कर पूजन अर्चना की जा रही है ।
मुनिश्री वीरसागरजी महाराज ने समवशरण विधान की महिमा बताते हुए कहा की इस विधान के माध्यम से हम समस्त तीर्थकर भगवान की उपासना कर सकते है ओर अपने कर्मों की निर्जरा कर सकते है । समवशरण में सभी जीव जन्म जात बैर छोड़कर मैत्री भावपूर्वक आपस में बैठते हैं। भगवान ने अपनी दिव्य ध्वनी द्वारा संसार का वह ज्ञान दिया है जितना संसार में हो सकता है। एक-एक जीव का, एक-एक स्थानों का वर्णन भगवान ने दिव्य ध्वनी द्वारा बताया है। जिसको गणधरों ने ग्रहण किया। गणधरों ने आचार्यों को बताया। आचार्यों ने इसे लिपिबद्ध किया, जिसको जैन शास्त्र कहते हैं-जिन वाणी रूप हम पूजते हैं। समवशरण विधान की अर्चना करने से विश्व में शांति का वातावरण निर्मित होता है जो आज के परिपेक्ष्य में अत्यंत आवश्यक हो गया है ।
आज विधान के शुरूआत में सर्वप्रथम प्रात:काल नगर में घटयात्रा निकाली गई, पश्चात मंडल विधान में श्रीजी विराजमान कर पात्रों का चयन किया गया । पात्रों में सौधर्मइंद्र का सौभाग्य सुरेन्द्र कठनेरा, कुबेरइंद्र पवन सिंघई, ध्वजारोहणकर्ता पूनमचंद लहरी परिवार, महायज्ञ नायक अमृतश्री परिवार, चक्रवर्ती इंद्र चेतन लहरी के साथ प्रमुख इंद्रों में राहुल गंगवाल, रविंद्र रपरिया, वैभव रपरिया, हेमंत अजमेरा, अनुराग रपरिया, अर्पित लहरी, अभिषेक रपरिया, गौरब बाकलीवाल को सौभाग्य प्राप्त हुआ । विधान हाटपिपल्या से पधारे बाल बह्मचारी चिद्रुप भैया के निर्देशन में संपन्न किया जा रहा है । विधान की रचना ललितपुर से आये कारीगरों द्वारा की गई है ।जैन समाज में हर्ष का वातावरण बना हुआ है, सभी परिवार अपने तन मन धन से धार्मिक आयोजन में शामिल हो रहे है ।
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